जानिए इस्लाम में पुरुषों को चार शादियां करने की इजाजत क्यों दी गई…

Leave a Comment

इस्लाम धर्म में पुरुष एक से अधिक शादियां कर सकता है। इस्लाम पुरुषों को चार शादियां करने की इजाजत देता है। आज के समय में इस बात को बहुत से लोग मानते भी हैं, शादियां करते भी है, और ऐसे भी अनेक लोग हैं जो चार शादियों का विरोध करते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण? क्यों इस्लाम में पुरुषों को चार शादियां करने की इजाज़त है?


इसका केवल एक ही उद्देश्य था जो योद्धा लड़ाई करते हुए मारा जाता था, उनकी बेवाओं की जिंदगी बेहद कठिन हो जाती थी, उन्ही औरतों की जिंदगी में फिर से खुशहाली के लिए पुरुषों को एक से अधिक शादियां केवल बेवाओं के साथ ही करने के लिए इजाजत दी गई।

इसी तरह एक आदमी 4 औरतों की जिम्मेदारी उठा लेता था, और उन बेवाओं की जिंदगी भी आसान बन जाती थी। लेकिन जैसा कि हर चीज के साथ होता है इसका भी समय बीतने के साथ गलत उपयोग होने लगा।

इसी तरह की खास बात जो कि शादी से जुड़ी हुई है वह शिया इस्लाम में भी लिखी गई है
जिसे निकाह मुताह कहते
यह एक तरह का अनुबंध विवाह है। इसमें शादी कितने दिन, कितने समय चलेगी यह पहले से तय किया गया होता है और जैसे ही शादी का समय अनुबंध में तय किए गए समय तक पहुंचता है तो यह शादी समाप्त हो जाती है। इसके लिए तालाक की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। इस तरह के निकाह में आदमी औरत को दहेज देता है।
निकाह और मुताह लगभग एक जैसे ही होते हैं। इन दोनों में कुछ खास अंतर नहीं होता केवल समय सीमा को छोड़कर। मुताह में शादी खत्म होने की समाप्त सीमा पहले से ही तय होती है किंतु निकाह में ऐसा कुछ नहीं होता। निकहा तो जीवन भर के लिए होता है, लेकिन जो एक खास बात दोनों में हैं वह यह है कि दोनों तरह की शादियों में आदमी उस औरत से शादी नहीं कर सकता जो पहले से शादीशुदा हो। एक औरत को निकाह मुताह करने की इजाजत नहीं होती जब तक की वह फिर से पवित्र ना हो जाए इद्दाह का पालन करके। दोनों तरह की शादियों से पैदा हुए बच्चों का हक एक समान ही होता है। बच्चों में कोई फर्क नहीं किया जाता।

लेकिन आज के समय अगर हम देखें तो इस बात का बेहद गलत फायदा उठाया जा रहा है। पुरुष अपने आपको अधिक प्रभावशाली बताने के लिए 4-4 शादियां कर रहे हैं। ऐसा अक्सर अरब देशों में देखा जा सकता है। अधिकतर इस्लाम मे पुरूष इसे वेश्यावृत्ति के लिए उपयोग कर रहे हैं। अगर आप अरब मे देखें तो पुरुष केवल कुछ ही घंटों के लिए निकाह करते हैं और एक औरत को अपनी पत्नी बनाकर उसके साथ कुछ घंटों के लिए रहते हैं और फिर उसे पैसे देकर छोड़ देते हैं। यही एकमात्र कारण है की सुन्नी समाज जो इस तरह के विवाह के विरुद्ध है अक्सर अपनी नाराजगी जोर-शोर से बतलाते हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से इस्लाम का नाम भी खराब हो रहा है।

केवल सुन्नी समाज ही नहीं बल्कि कुछ शिया समाज के भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस पर सवाल उठाए हैं। लेकिन हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी और इस्लाम धर्म के ठेकेदार अपनी सुविधा के लिए इस्लाम में लिखी हुई बातों को तोड़ मरोड़ कर बताते हैं। यही कारण आप लोग भी कह सकते हैं कि जिस निकाह को मंजूरी एक अच्छे कारण के लिए दी गई थी, आज के समय केवल देह व्यापार बन कर रह चुका है। जिसके कारण आज इस्लाम का नाम भी खराब हो रहा है।

मर्दों को तो इसमें अपने लिए आराम ही नजर आ रहा है किंतु मुस्लिम महिलाओं का दर्द कोई सुन नहीं रहा और इस्लाम को तो तोड़ मरोड़ कर दिखलाने की तो आदत ही बन गई हैं इस्लामिक धर्मगुरुओं की।
आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और दूसरों के साथ भी आप इसे बांटे तांकि लोगों को इस्लाम में चार शादियों के आने का असली कारण मालूम पड़ सके और धर्म के नाम पर महिलाओं के साथ हो रहा शोषण भी बंद हो सके।
If You Enjoyed This, Take 5 Seconds To Share It

0 comments:

Post a Comment

Loading...