थिरूवनंतपुरम, केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का खजाना भारत के सबसे रहस्यमयी और बेशकीमती खजानों में से एक है। कानूनी आदेश के बाद जून 2011 में जब इस खजाने का एक हिस्सा खोला गया तब इसमें छुपी हुई संपत्ति की कीमत 1500 अरब रूपए अनुमानित की गई जबकि अभी दूसरा हिस्सा खोला जाना बाकी है। एक दूसरा बड़ा खजाना जयपुर, राजस्थान में स्थित मानसिंह का खजाना है जिसे मानसिंह ने आफगान हमले के बाद लूटी हुई संपत्ति को अपने जयगढ़ किले में छुपा दिया था। भारतीय सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद इस खजाने को आज तक ढूंढा नहीं जा सका और लोगों को यकीन है कि यह खजाना आज भी सुरक्षित है।
अलवर का मुगल खजाना भी उन रहस्यमयी खजानों में से एक है जिनका पता आज तक नहीं लगाया जा सका। ऐसा मानना है कि इस खजाने की सबसे बेशकीमती चीज एक कप है जिसे एक बहुत बड़े हीरे को तराश कर बनाया गया है। हैदराबाद के आखिरी निज़ाम मीर उस्मान अली का नाम अपने समय के दुनिया के पांच सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक था। उसका साम्राज्य इंग्लैंड से भी बड़ा था और उसकी संपत्ति की अनुमानित कीमत 12500 अरब रूपए थी। सन् 1948 में जब हैदराबाद का भारत में विलय हुआ तब भारत सरकार को लगभग 5000 करोड़ रूपए की संपत्ति हाथ लगी और ऐसा माना जाता है कि बाकी खजाना निज़ाम के हैदराबाद स्थित महल में छुपा हुआ है।
राजगीर, बिहार स्थित सोनभंडार की गुफाएं ऐसी रहस्मयी गुफाएं हैं जिनको एक ही बड़े पत्थर से तराश कर बनाया गया है। गुफा में स्थित एक द्वार को आज तक खोला नहीं जा सका है जिसके ऊपर शंख लिपि में कुछ लिखा गया है जिसे आजतक पढ़ा नहीं जा सका है। यह मान्यता है कि इस द्वार के पीछे राजा बिमबिसार का खजाना छिपा हो सकता है। कृष्णा नदी के किनारे स्थित गोलकुंडा किसी जमाने में हीरों की खदानों के लिए जाना जाता था। मशहूर कोहिनूर का हीरा भी इन्हीं खदानों से निकला था और ऐसा मानना है कि एक बहुत बड़ा खजाना इन खदानों के रूप में आज भी छिपा हुआ है।
इन बेशकीमती खजानों के अलावा चारमीनार की गुफाएं और कोल्लूर कर्नाटक स्थित श्री मूकअंबिका मंदिर ऐसे खजानें हैं जिनमें अथाह संपत्ति छिपी हो सकती है। मूकअंबिका मंदिर में खजाने के ऊपर एक सांप का चिन्ह बना हुआ है जो उस खजाने की रक्षा करता है। खजाने को छोड़ दें तो उस मंदिर के आभूषणों की कीमत सौ करोड़ से भी ज्यादा है।
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