प्रतापगढ़ किला, महाबलेश्वर
महाराष्ट्र
के जिला सतारा में स्थित है प्रतापगढ़ किला, जो प्रतापगढ़ के युद्धस्थल के
रूप में भी जाना जाता है। किला पोलादपुर से 15 किमी. और महाबलेश्वर से 23
किमी. की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से 1080 मीटर की ऊंचाई पर यह किला एक
पर्वत स्कंध पर बना हुआ है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के तटों और
पार दर्रे की रक्षा के लिए इस किले के निर्माण का उत्तरदायित्व मोरोपंत
त्रिम्बक पिंगल को सौंपा था।
यह किला भारतीय इतिहास के उस दौर का भी गवाह है जब शिवाजी ने एक ताकतवर योद्धा अफजल खान को नाटकीय तरीके से मार दिया था और जहां से मराठा साम्राज्य ने एक निर्णायक मोड़ लिया। पानघाट पर स्थित यह किला छत्रपति शिवाजी के आठ प्रमुख किलों में से एक माना जाता है।
किले का निर्माण कार्य 1656 में पूरा हो गया था। प्रतापगढ़ का युद्ध 10 नवंबर 1659 को किले की प्राचीर के नीचे शिवाजी और अफजल खान के बीच लड़ा गया था। इसी युद्ध ने मराठा साम्राज्य की नींव डाली थी। क्षेत्रीय राजनीति में इसके बाद भी प्रतापगढ़ की हिस्सेदारी बनी रही।
1818 में अंग्रेजों से हुए तीसरे युद्ध में मराठा साम्राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें प्रतापगढ़ किले से भी हाथ धोना पड़ा। मुख्यत: दो भागों में बंटे किले पर सतारा रियासत के उत्तराधिकारी उदय राजे भोंसले का स्वामित्व है।
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