700 ब्राह्मणों और 4000 कैथलिको को मारा टीपू सुल्तान ने : पांचजन्य

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कांग्रेस ने जो कर्नाटक में टीपू सुल्तान की जयंती धूमधाम से मनाने का फैसला लिया, वो एक बार फिर विवादो में है। आरएसएस  ने एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साधा , संघ की पत्रिका पांचजन्य मे टीपू सुल्तान को दक्षिण भारत का औरंगजेब कहा गया है। संघ पत्रिका ने वहां के मुख्यमंत्री पर भी निशाना साधा और उनको भी दक्षिण भारत का लालू प्रसाद यादव बताया | लेख में टीपू सुल्तान की कुछ ऐसी बातें कही गई है जिसे इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया और आज भी कुछ तत्वों द्वारा अंतः उसे दबाने का प्रयास किया जाता है |

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लेख में कहा गया है कि टीपू सुल्तान ने अनेक ब्राह्मणों को फांसी दी। लेख के अनुसार टीपू सुल्तान ने 700 मेलकोट आयंगार ब्राह्मणों को फांसी पर चढ़ाया। टीपू सुल्तान की जयंती धूम-धाम मनाने पर संघ ने आरोप लगाया कि, क्या कांग्रेस उन ब्राह्मणों की हत्या की सालगिरह मना रही है? यह केवल हिंदुओं का विरोध नहीं है बल्कि भारत में रहने वाले सभी इसाई भी टीपू सुल्तान की जयंती का विरोध करते हैं। लेखक सतीश पेडणेकर लिखते हैं,” अलबान मेनेजेस जो कि एक इसाई नेता है उनके मुताबिक 1784 मे मंगलूर के मिले ग्रेट चर्च को टीपू सुल्तान ने गिरा दिया और टीपू सुल्तान ने 60,000 कैथलिको को जबरन बंदी बना लिया और उन्हें मजबूर किया कि वह मैसूर तक पैदल चलें सिर्फ इसलिए क्योंकि टीपू सुल्तान को शक था कि वह लोग अंग्रेजों के लिए जासूसी करते हैं और इसी दौरान 4000 कैथलिको की मौत हो गई।”

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इस लेख में टीपू सुल्तान को औरंगजेब कहा गया है क्योंकि उसने भी औरंगजेब की तरह गैर मुस्लिमो पर, चाहे वह हिंदू हो या इसाई,  जुल्म डाया और अनेक लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन किया। अनगिनत संख्या में मंदिरों को तोड़ा और चर्चो का भी विध्वंस किया। लिख में तो उसके ऊपर खूब आरोप लगाए गए हैं। यहां तक कि यह भी कहा गया है जिस टीपू सुल्तान को देश भक्त और स्वतंत्रता सेनानी कहां जाता रहा है उसके इतिहास पर अगर गोर से नजर डाले तो मालूम पड़ेगा कि वह कोई देशभक्त नहीं बल्कि देशद्रोही था। जो देश के ही लोगों को मारने पर आमादा हो वह देश भक्त कैसे हो सकता है?

लेख में यह भी सवाल उठाया गया है कि इस बात को लेकर क्यों इतिहासकार अपनी आवाज नहीं बुलंद करते? क्यों वह इस बारे में चर्चा भी  करना पसंद नहीं करते? अगर उनको इस बारे में मालूम ही नहीं है तो वह किस बात के इतिहासकार है? टीपू सुल्तान के बारे में सारे तथ्य संयोगवश अभिलेखागारो मैं उपलब्ध है। दुर्भाग्य तो यह है कि वे सभी तथ्य होने के बावजूद भी ना तो कर्नाटक सरकार ने उन तथ्यों को जानने की कोशिश की और ऊपर से एक देशद्रोही को देशभक्त बनाकर उसकी जयंती का धूमधाम से प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है क्यों कांग्रेस सरकार ने टीपू जयंती को मनाने का फैसला लिया? कौन से इतिहासकार की बातें सुनती है कांग्रेस? यहां तक की कांग्रेस ने तो टीपू जयंती भी गलत तारीक पर मना डाली। टीपू का जन्मदिन तो 20 नवंबर को पड़ता है लेकिन कांग्रेस ने 10 नवंबर, जिस दिन छोटी दीवाली थी, उस दिन मनाने का फैसला लिया।
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