युँ तो किसी भी शिव मन्दिर में शिवलिंग और त्रिशूल होना आम बात है लेकिन भारत में ही एक मन्दिर ऐसा है जहाँ पर स्वयं भगवान शिव का त्रिशूल विराजमान है। ये मन्दिर है जम्मू कश्मीर में,जम्मू
से 120 किलो मीटर दूर तथा समुद्र तल से 1225 मीटर की ऊंचाई पर, पटनीटॉप के पास सुध महादेव (शुद्ध महादेव) का मंदिर स्थित है ! यह मंदिर शिवजी के प्रमुख मंदिरो में से एक है ! इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए है जो की पौराणिक कथाओ के अनुसार स्वंय भगवान शिव के है !
युँ तो किसी भी शिव मन्दिर में शिवलिंग और त्रिशूल होना आम बात है लेकिन भारत में ही एक मन्दिर ऐसा है जहाँ पर स्वयं भगवान शिव का त्रिशूल विराजमान है। ये मन्दिर है जम्मू कश्मीर में,जम्मू
इस मंदिर से कुछ दूरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई है ! इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2800 वर्ष पूर्व हुआ था, जिसका पुनर्निर्माण लगभग एक शताब्दी पूर्व एक स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उसके पुत्र ने करवाया था ! इस मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग, नंदी और शिव परिवार की मूर्तियाँ है ! सुध महादेव की पौराणिक कथासुध महादेव के पास ही मानतलाई है जो की माता पार्वती की जन्म भूमि है ! पुराणो की कहानी के अनुसार माता पार्वती नित्य मानतलाई से इस मंदिर में पूजन करने आती थी ! एक दिन जब पार्वती वहां पूजा कर रही थी तभी सुधान्त राक्षस, जोकि स्वंय भगवान शिव का भक्त था, वहां पूजन करने आया ! जब सुधान्त ने माता पार्वती को वहां पूजन करते देखा तो वो पार्वती से बात करने के लिए उनके समीप जाकर खड़े हो गए ! जैसे ही माँ पार्वती ने पूजन समाप्त होने के बाद अपनी आँखे खोली, एक राक्षस को अपने सामने खड़ा देखकर घबरा गई ! घबराहट में वो जोर जोर से चिल्लाने लगी ! उनकी ये चिल्लाने की आवाज़ कैलाश पर समाधि में लीन भगवान शिव तक पहुंची ! महादेव ने पार्वती की जान खतरे में जान कर राक्षस को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेका ! त्रिशूल आकर सुधांत के सीने में लगा ! उधर त्रिशूल फेकने के बाद शिवजी को ज्ञात हुआ की उनसे तो अनजाने में बड़ी भूल हो गई ! इसलिए उन्होंने वहां पर आकर सुधांत को पुनः जीवन देने की पेशकश की पर दानव सुधान्त ने यह कह कर इंकार कर दिया कि वो अपने इष्ट देव के हाथो से मरकर मोक्ष प्राप्त करना चाहता है !
ये तीनो टुकड़े मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए है ! इसमें सबसे बड़ा हिस्सा त्रिशूल के ऊपर वाला हिस्सा है ! मध्यम आकार वाला बीच का हिस्सा है तथा सबसे नीचे का हिस्सा सबसे छोटा है जो की पहले थोड़ा सा जमीन के ऊपर दिखाई देता था पर मदिर के अंदर टाईल लगाने के बाद वो फर्श के लेवल के बराबर हो गया है ! इन त्रिशूलों के ऊपर किसी अनजान लिपि में कुछ लिखा हुआ है जिसे आज तक पढ़ा नहीं जा सका है ! यह त्रिशूल मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए है और भक्त लोग इनका नित्य जलाभिषेक भी करते है !
पाप नाशनी बाउली
मंदिर के बाहर ही पाप नाशनी बाउली (बावड़ी) है जिसमे पहाड़ो से 24 घंटे 12 महीने पानी आता रहता है ! ऐसी मान्यता है कि इसमें नहाने से सारे पाप नष्ट हो जाते है ! अधिकतर भक्त इसमें स्नान करने के बाद ही मंदिर में जाते है !
बाबा रूपनाथ की धूणी
इस मंदिर में नाथ सम्प्रदाय के संत बाबा रूप नाथ ने सदियों पहले समाधि ली थी उनकी धूणी आज भी मंदिर परिसर में है जहाँ अखंड ज्योत जलती रहती है !
मानतलाई
यह सुध महादेव से 5 किलो मीटर दूर है ! यहीं माता पार्वती का जन्म और शिव जी से उनका विवाह हुआ था ! यहाँ पर माता पार्वती का मंदिर और गौरी कुण्ड देखने लायक जगह है !
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